iamrahuljhablog: Best wishes to all of you Buddha Purnima 30…
Best wishes to all of you Buddha Purnima
30 April
आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
#buddhapurnima
#IamRahulJha (at Bodh Gaya)
भगवान गौतम बुद्ध का जीवन परिचय :
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व के समय कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी नेपाल में हुआ था. कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के अपने देवदह जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई जिसमे एक बालक का जन्म हुआ था. गौतम गौत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम बुद्ध कहलाये. इनके पिता शुदोधन एक राजा थे इनकी माता माया देवी कोली वंश की महिला थी लेकिन बालक के जन्म देने के बाद 7 दिन के अंदर माया देवी की मृत्यु हो गयी थी.
जिसके बाद इनका लालन-पालन इनकी मौसी और राजा की दूसरी पत्नी रानी गौतमी ने की और इस बालक का नाम सिद्धार्थ रख दिया गया. इस नाम का मतलब होता हैं जो सिद्धि प्राप्ति के लिये जन्मा हो लेकिन इनको बाद में सिद्धि मिली थी. सिद्धार्थ बचपन से बहुत की दयालु और करुणा वाले व्यक्ति थे.
सिद्धार्थ बचपन में जब खेल खेलते थे तब वे स्वंय हार जाते थे क्योंकि वें दूसरों को दुःख नहीं देना चाहते थे. सिद्धार्थ का एक चचेरा भाई भी हैं जिसका नाम हैं देवदत्त हैं. एक बार देवदत्त ने अपने धनुष से एक बाण चलाया था जिससे एक पक्षी हंस घायल हो गया था और बाद में सिद्धार्थ ने उस घायल हंस की रक्षा की थी.
भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षा, विवाह और तपस्या :
सिद्धार्थ ने अपनी शिक्षा गुरु विश्वामित्र से पूरी की. उन्होंने वेद और उपनिषद के साथ-साथ युद्ध विद्या की भी शिक्षा प्राप्त की. सिद्धार्थ को बचपन से घुड़सवारी, धनुष – बाण और रथ हांकने वाला एक सारथी में कोई दूसरा मुकाबला नहीं कर सकता था. सिद्धार्थ की शादी मात्र 16 साल की आयु में राजकुमारी यशोधरा के साथ हुई थीं और इस शादी से एक बालक का जन्म हुआ था, जिसका नाम राहुल रखा था लेकिन उनका मन घर और मोह माया की दुनिया में नहीं लगा और वे घर परिवार को त्याग कर जंगल में चले गये थे.
पिता और राजा शुद्दोधन ने सिद्धार्थ के लिये भोग-विलास का भरपूर इंतजाम भी किया था. पिता ने अपने बेटे के लिए 3 ऋतु के हिसाब से 3 महल भी बनाये थें जिसमे नाच-गान औए ऐसो आराम की सारी व्यवस्था मौजूद थी लेकिन ये चीजें सिद्धार्थ को अपनी ओर नहीं खींच सकी. सिद्धार्थ ने अपनी सुंदर पत्नी और सुंदर बालक को छोड़कर वन की ओर चले जाने का निश्चय किया.
सिद्धार्थ ने वन जाकर कठोर से भी कठोर तपस्या करना शुरू कर दिया. पहले तो सिद्धार्थ ने शुरू में तिल चावल खाकर तपस्या शुरू की लेकिन बाद में तो बिना खान-पान के तपस्या करना शुरू कर दिया. कठोर ताप करने के कारण उनका शरीर सुख गया था तप करते-करते 6 साल हो गये थे. एक दिन सिद्धार्थ वन में तपस्या कर रहे थें कि अचानक कुछ महिलाये किसी नगर से लौट रही थीं वही रास्ते में सिद्धार्थ तप कर रहे थें.
महिलाएं कुछ गीत गा रही थीं उनका एक गीत सिद्धार्थ के कानों में पड़ा था गीत था ” वीणा के तारों को ढीला मत छोड़ दों ” तारों को इतना छोडो भी मत कि वें टूट जायें सिद्धार्थ को कानों में पड़ गयी और वे यह जान गये की नियमित आहार-विहार से योग सिद्ध होता हैं, अति किसी बात की अच्छी नहीं. किसी भी प्राप्ति के लिये माध्यम मार्ग ही ठीक होता हैं, इसके लिये कठोर तपस्या करनी पड़ती हैं.
भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति :
वैशाखी पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ वटवृक्ष के नीचे ध्यानपूर्वक अपने ध्यान में बैठे थे. गाँव की एक महिला नाम सुजाता का एक पुत्र हुआ था, उस महिला ने अपने पुत्र के लिये उस वटवृक्ष से एक मन्नत मांगी थीं जो मन्नत उसने मांगी थी वो उसे मिल गयी थी और इसी ख़ुशी को पूरा करने के लिये वह महिला एक सोने के थाल में गाय के दूध की खीर भरकर उस वटवृक्ष के पास पहुंची थीं.

उस महिला ने बड़े आराम से सिद्धार्थ को खीर भेंट की और कहा जैसे मेरी मनोकामना पूरी हुई उसी तरह आपकी भी हो. उसी रात को ध्यान लगाने पर सिद्धार्थ की एक साधना सफलहो गयी थीं, उसे सच्चा बोध हुआ तभी से सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए. जिसे पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को बोध मिला था वह वृक्ष बोधिवृक्ष कहलाया और गया का सीमावर्ती जगह बोधगया कहलाया.
भगवान गौतम बुद्ध का धर्म चक्र और परिवर्तन :
वें 80 वर्ष तक अपने धर्म का संस्कृत के बजाय उस समय की सीधी सरल लोकभाषा पली में प्रचार करते रहें तथा की धर्म लोकप्रियता तेजी से बढ़ने लगी. 4 सप्ताह तक बोधिवृक्ष के नीचे रहकर धर्म के स्वरुप का चिंतन करने के बाद बुद्ध धर्म का उपदेश करने निकल पड़े. पहले उन्होंने 5 मित्रों को अपना अनुयायी बनाया और फिर उन्हें धर्म प्रचार करने के लिये भेज दिया.
पाली सिद्दांत के सूत्र के अनुसार 80 वर्ष की आयु में बुद्ध ने यह घोषणा की. गौतम बुद्ध ने अपना आखिरी भोजन जिसे उन्होंने कुंडा नामक एक लोहार से एक भेंट के रूप में प्राप्त किया था उसे ग्रहण किया, जिसके कारण वे गंभीर रूप से बीमार पड़ गये. गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद को एक निर्दश दिया था कि वह कुंडा को समझाए कि उसने कोई गलती नहीं की हैं, उन्होंने कहा कि यह भोजन महान और अतुलनीय हैं.
गौतम बुद्ध के उपदेश :
भगवान बुद्ध ने लोगो को मध्यम का रास्ता अपनाने का उपदेश दिया. उन्होंने दुःख उसके कारण और निरावरण के लिये अहिंसा पर बहुत जोर दिया. जीवों पर दया करो.. गौतम बुद्ध ने हवन और पशुबलि की जमकर निंदा की हैं. बुद्ध के कुछ उपदेशों के सार इस प्रकार हैं-
* महात्मा बुद्ध ने सनातन धर्म के कुछ संकल्पाओं का प्रचार और प्रसार किया था जैसे – अग्निहोत्र और गायत्री मन्त्र
* ध्यान और अंत-दृष्टी
* मध्य मार्ग का अनुसरण
* चार आर्य सत्य
* अष्टांग रास्तें
प्रमुख कार्य और बौद्ध धर्म :
बौद्ध धर्म में गौतम बुद्ध एक विशेष व्यक्ति हैं बौद्ध धर्म का धर्म अपनी शिक्षाओं में अपनी नीवं रखता हैं. बौद्ध धर्म के 8 गुना पथ का प्रस्ताव रखा हैं. वर्ल्ड के महान धर्मो में से एक बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपना अमिट प्रभाव छोड़ा हैं
* चोट लगने पर दर्द होगा और कष्ट विकल्प हैं.
* हमेशा याद रखे एक गलती दिमाग पर उठाएं वह भारी बोझ के समान हैं.
* आप तक रास्ते पर नहीं चल सकते जब तक आप खुद अपना रास्ता नहीं बना लेते.
गौतम बुद्ध के जीवन के सफल मन्त्र :
* गुस्सा एक हानिकारक हथियार हैं – गुस्सा अपने दुश्मनों की हत्या करने के साथ-साथ आपकी भी हत्या करता हैं जब आप बहुत ज्यादा गुस्से में होते हैं तब आपके शब्द ही आपको धोखा देते हैं.
* आपको कभी अपने गुस्से के लिये सजा नहीं दी जाती बल्कि आपको अपने गुस्से द्वारा ही सजा दी जाती हैं.
* हमारे विचारों द्वारा ही हमारी बढाई की जाती हैं. हम वही बनते हैं जैसा हम सोचते हैं, जब आपका दिमाग साफ रहेगा. तब खुशिया आपके साथ आपकी परछाई बनकर हमेशा साथ रहेगीं.
* जब आपको कोई फूल पसंद आता हैं तो आप उसे तोड़ लेते हो लेकिन जब आप किसी फूल से प्यार करते हो तो आप उसे हर रोज पानी देते हो.
* बूंद-बूंद से पानी का घड़ा भरता है.
* किसी छोटे काम की शुरुआत करना किसी बड़े काम को अंत देने की शुरुआत हैं. यह कोई मायने नहीं रखता की आपने शुरुआत छोटे से की या बड़े से यदि आप उस शुरुआत को अंत तक ले जाते हो तो आप एक दिन वो सबकुछ हासिल कर सकेंगे जो आप चाहोगे.
* जिंदगी एक लंबी यात्रा हैं और आप एक यात्री की तरह हो इसलिये बेहतर होगा की हम जिये और अच्छी तरह से यात्रा करे ना कि भविष्य के बारे में रहकर खुश रहना ही life का असली एन्जॉय हैं. हमें भूतकाल और भविष्य में रहकर चिंतित होने की बजाय वर्तमान में रहकर खुश रहना चाहिए.
* भले ही आप गंदगी से घिरे हो लेकिन बुराई का विरोध करने की आप में शक्ति का भंडार समाहित हैं.
#Tumblr
Comments