Natrajan chandrashekarana Tcs
नटराजन चंद्रशेखरन एक किसान परिवार में जन्म लेनेवाले शख्स का देश के सबसे पुराने और बड़े व्यापारिक घराने का चेयरमैन बनना एक अजूबा नहीं, तो कम से कम चकित करने वाली घटना अवश्य है। वस्तुतः ऐसा हुआ है और यह चमत्कार किया है तमिलनाडु के नटराजन चंद्रशेखरन ने। अब तक देश की सबसे बड़ी सूचना तकनीक (Information Technology) की कंपनी टीसीएस (Tata Consultancy Services) की कमान संभाल रहे, कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer) नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा सन्स के बोर्ड ने अपना मुखिया चुनकर एक इतिहास रच दिया है। इस घटना के इतिहास बनने के एक नहीं बल्कि दो पक्ष हैं। पहला पक्ष कि टाटा समूह एक पारसी समुदाय का समूह है और आज तक इसके जो भी चेयरमैन हुए हैं, वह इसी समुदाय या फिर ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा के परिवार से ताल्लुक रखते रहे हैं। नटराजन चंद्रशेखरन को समूह का मुखिया बनाकर टाटा सन्स ने अब तक चली आ रही परिपाटी को तोड़ दिया है। दूसरा पक्ष कि टाटा समूह ने अपने एक कर्मचारी को उसके काबिलियत पर भरोसा कर समूह की कमान सौंपी है, जबकि उद्दयोग जगत में ऐसा क्रांतिकारी कदम बहुत कम ही देखने को मिलता है। बहरहाल, नटराजन चंद्रशेखरन का टाटा सन्स का चेयरमैन बनना भारतीय उद्दयोग जगत के लिए एक विस्मयकारी परन्तु सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। नटराजन चंद्रशेखरन का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा टाटा सन्स के नवनिर्वाचित चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन का जन्म वर्ष 1963 में तमिलनाडु राज्य में नमक्कल के नजदीक स्थित मोहनुर में एक किसान परिवार में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात चंद्रशेखरन ने कोयम्बटूर स्थित कोयम्बटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नामांकन कराया और यहां से एप्लाइड साइंस में स्नातक की डिग्री हासिल किया। तत्पश्चात वे त्रिची (वर्तमान में तिरुचिराप्पली) स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर एप्लीकेशन में वर्ष 1986 में मास्टर डिग्री धारक बने। मास्टर डिग्री प्राप्त करने के पश्चात चंद्रशेखरन ने वर्ष 1987 में टीसीएस (Tata Consultancy Services) में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर नौकरी के साथ अपने कैरिएर की शुरुआत की थी। नटराजन चंद्रशेखरन का टाटा सन्स के चेयरमैन बनने तक का सफ़र नटराजन चंद्रशेखरन का नाम उद्दयोग की दुनिया में काबिलियत, नेतृत्व क्षमता और बेहतर परिणाम देने वाले शख्स के तौर पर जाना जाता है। टाटा समूह की कंपनी TCS के साथ चंद्रशेखरन ने 30 साल का एक लंबा सफ़र तय किया है। इन 30 वर्षों के दौरान वह कंपनी के एक साधारण कर्मचारी से प्रोन्नत होते हुए, TCS के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और प्रबंध निदेशक (MD) के पद तक पहुंचे। अपनी काबिलियत और नेतृत्व क्षमता की बदौलत वह वर्ष 2002 में TCS के ग्लोबल सेल्स हेड बने और फिर वर्ष 2007 में उन्हें कंपनी का एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनाया गया। आगे जाकर वह पहले कंपनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) बने और फिर 6 अक्टूबर 2009 को नटराजन चंद्रशेखरन को TCS का मुखिया यानि CEO बनाया गया। इस पद पर रहते हुए चंद्रशेखरन ने खुद को एक काबिल बिजनेस लीडर साबित किया। कंपनी का कारोबार बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने पारंपरिक लीक से हटते हुए प्रबंधन में कई नए प्रयोग किए। एक प्रयोग के तहत उन्होंने TCS को 23 बिजनेस यूनिट में विभाजित कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी की कार्यप्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन आया और TCS देश की आईटी (Information Technology) कंपनियों की कतार में पहले पायदान पर पहुंच गया। इससे पूर्व देश की एक और दिग्गज आईटी कंपनी इनफ़ोसिस को यह दर्जा हासिल था। स्पष्ट है कि चंद्रशेखरन को न केवल तकनीक क्षेत्र की विशेषज्ञता हासिल है बल्कि वह प्रबंधन के क्षेत्र में भी अव्वल हैं। सही मायने में कहा जाय तो नटराजन चंद्रशेखरन एक ‘तकनीकी उद्द्यमी’ (Techno Entrepreneur) हैं। उनकी इसी विशेषज्ञता का परिणाम है कि जिस TCS की आमदनी 2010 में 30,000 करोड़ रुपये थी, आज वह बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। उनके नेतृत्व में कंपनी का मुनाफा भी तीन गुना बढ़ा है। आज TCS का मुनाफा 7,093 करोड़ रुपये से बढ़कर 24,375 करोड़ रुपये हो गया है। गौरतलब है कि टाटा समूह की कुल आमदनी में TCS का योगदान 70 फीसदी है। चंद्रशेखरन के ही योग्य नेतृत्व का परिणाम है कि वर्तमान में TCS को देश के सबसे मूल्यवान कंपनी का दर्जा प्राप्त है जिसका बाज़ार पूंजीकरण (Market Capitalisation) लगभग 4।2 लाख करोड़ रुपये है। नटराजन चंद्रशेखरन को अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के साथ काम करने और उनके साथ तालमेल बनाने में महारत हासिल है। अपनी योग्यता के बदौलत ही वह बिज़नस की दुनिया के बड़े नाम जैसे, जीई, जेपी मॉर्गन, वालमार्ट, होम देपौत, इलेक्ट्रॉनिक आर्ट्स आदि को TCS के साथ जोड़ने और उन्हें बेहतर सेवा देने में सफल रहे। वर्ष 2012 में इन्हीं के नेतृत्व में सूचना प्रोद्योगिकी इंडस्ट्री के लिए ‘विजन 2020’ तैयार हुआ था। नटराजन चंद्रशेखरन को मिले नटराजन चंद्रशेखरन देश और दुनिया के व्यावसायिक समुदायों द्वारा दिए जानेवाले कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं। भारत के राष्ट्रीय बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक ने चंद्रशेखरन को वर्ष 2016 में अपने बोर्ड में निदेशक के पद पर नामित किया था। वर्ष 2012-13 के लिए वह भारतीय सूचना प्रोद्योगिकी कम्पनीयों की शीर्ष संस्था नैसकॉम (NASSCOM) के चेयरमैन पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। बहरहाल वह इस संस्था के प्रशासनिक कार्यकारी परिषद् (Governing Executive Council) के सदस्य भी हैं। इसी प्रकार चंद्रशेखरन वर्ष 2015-16 के दौरान स्विट्ज़रलैंड के दावोस में स्थित विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) में दुनिया भर के सूचना प्रोद्योगिकी (IT) कम्पनीयों की संस्था का भी नेतृत्व कर चुके हैं। वह भारत-अमेरिका CEO मंच के भी सदस्य रहे हैं। इसके अलावा वह भारत सरकार द्वारा ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, जापान और मलेशिया के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए गठित विशेष व्यापारिक कार्यबल (Special Business Taskforce) के भी सदस्य रहे हैं। वर्ष 2014 में हैदराबाद स्थित जवाहरलाल नेहरु टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (JNTU) ने चंद्रशेखरन को मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate) की उपाधि से सम्मानित किया था। इसके अलावा वे नीदरलैंड के न्येंरोदे बिज़नस यूनिवर्सिटी से भी मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित हो चुके हैं। नटराजन चंद्रशेखरन का निजी जीवन शायद बहुत कम लोगों को पता हो कि सूचना प्रोद्योगिकी और प्रबंधन के क्षेत्र में बुलंदियों को छूने वाले नटराजन चंद्रशेखरन एक बेहतरीन फोटोग्राफर और मेराथन धावक भी हैं। इन्होने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले मेराथन दौड़ में हिस्सा लिया है। इनमें मुंबई, एम्स्टर्डम, बोस्टन, शिकागो, बर्लिन, न्यूयॉर्क और टोक्यो में आयोजित होने वाले मेराथन प्रमुख हैं। मेराथन दौड़ में इनका सबसे बेहतर रिकॉर्ड 5 घंटे 52 सेकंड का है, जो इन्होने वर्ष 2014 में न्यूयॉर्क मेराथन में बनाया था। फिलहाल 53 वर्षीय नटराजन चंद्रशेखरन अपनी पत्नी ललिता और पुत्र प्रणव के साथ मुंबई में रहते हैं। 21 फरवरी 2017 को चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन का पदभार ग्रहण करेंगे। अंततः यह कहना गलत नहीं होगा कि आज नटराजन चंद्रशेखरन ने व्यवसाय की दुनिया में जिस मुकाम को हासिल किया है, ऐसा मौका विरले को ही मिलता है।
Comments